एक सैरभैर | प्रश्न
वाऱ्यावर |
उगा ताऱ्यावर | चित्र
कोरे ||
मनीचे ओघळ | मनातच
विरे |
प्रकाश भोवरे | पुंजकांचे
||
ओठीपोटी गोठी | दाटती
अपार |
चंद्र अलवार | पाझरतो
||
कोण देतो काय | न
ये कळून |
जीव व्याकुळून | स्तना
लुचे ||
फुटलेला पान्हा |
देही सांडतांना |
भरल्या दिशांना |
मोह शुभ्र ||
अरे मागु किती | भरूनही
रिती |
विवरांची दाटी | अंतरात ||
एक एक फुल | उमले
शून्यात |
ग्रह गोलकात | जीवांकूर
||
भरला विक्रांत |
सुखाने आकंठ |
इंद्रायणी काठ | तारांगणी
||
विक्रांत प्रभाकर
तिकोणे
http://kavitesathikavita.blogspot.in/
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