स्वामी नित्यानंद | समाधी दर्शन |
घेवूनीया मन | आनंदले ||१||
तयाच्या कृपेची | जगास प्रचिती |
माझ्या मनी दीप्ती | प्रकाशली ||२||
जयास भेटला |सावळा तो कृष्ण |
आहेत ती धन्य | नरनारी ||३||
तयाच्या मंदिरी | शांती समाधान |
पातले हे मन | न मागता ||४||
भेटे ज्ञानदेव | भेटे दत्त राज |
ऐसे मज आज | वाटले ते ||५||
गुरुशक्ती एक | कळो आले गुज |
ओघळे सहज | कृपा आत ||६||
इथेच पंढरी | नि अलंकापुरी |
कळले अंतरी | आपोआप ||७||
विक्रांत प्रभाकर
http://kavitesathikavita.blogspot.in/
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