पोटासाठी कुणी | गोतासाठी
कुणी |
संसारी खिळूनी| राहिलेला ||
देह जाईस्तोवर | पोट राहणार
|
गोत वाढणार | प्रतिदिनी ||
किडा मुंगीयांचे | पोट भरे
रोज |
पाखरास भोज | फळादिक ||
मागे धुंडू जाता | जग गणगोत |
बांधले सूत्रात | विश्वरूपी
||
निघ रे विक्रांत | दारी
यमदूत |
सारी यातायात | व्यर्थ मग ||
डॉ.विक्रांत प्रभाकर तिकोणे
http://kavitesathikavita.blogspot.in/
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