हात जोडून | करतो वंदन | देव गजानन | आरंभी मी ||
१ ||
तुझ्या कृपेनं | तुझे नमन | येते घडून | शुभ
कार्यी || २ ||
दु:ख सरुनी | विघ्न पळूनी | जाते होवुनी | विश्व
सुखी || ३ ||
मी तो बालक | नवथर साधक | भक्ती एक | तुज मागे
|| ४ ||
रिद्धीसिद्धीचा | दाता जगाचा | परि मी त्याचा | नसे
भुका || ५ ||
तुझ्या चरणी | मीपण वाहुनी | जावी संपूनी | सर्व
गती || ६ ||
हेच सांगणे | देवा मागणे | ठाव देणे | तुझ्या
पदी || ७ ||
तव गुणगाणी | झिजो लेखणी | सदैव वदनी | नाव
तुझे || ८ ||
विक्रांत प्रभाकर
http://kavitesathikavita.blogspot.in/
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