बुधवार, ५ मार्च, २०१४

श्री गणेश वंदना




हात जोडून | करतो वंदन | देव गजानन | आरंभी मी || १ ||
तुझ्या कृपेनं | तुझे नमन | येते घडून | शुभ कार्यी || २ ||
दु:ख सरुनी | विघ्न पळूनी | जाते होवुनी | विश्व सुखी || ३ ||
मी तो बालक | नवथर साधक | भक्ती एक | तुज मागे || ४ ||
रिद्धीसिद्धीचा | दाता जगाचा | परि मी त्याचा | नसे भुका || ५ ||
तुझ्या चरणी | मीपण वाहुनी | जावी संपूनी | सर्व गती || ६ ||
हेच सांगणे | देवा मागणे | ठाव देणे | तुझ्या पदी || ७ ||
तव गुणगाणी | झिजो लेखणी | सदैव वदनी | नाव तुझे || ८ ||

विक्रांत प्रभाकर
http://kavitesathikavita.blogspot.in/

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